नई दिल्लीः सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 16 जुलाई को सुनवाई करेगा. उस दिन तय होगा कि इस पर अंतरिम रोक ज़रूरी है या नहीं. याचिकाओं में कहा गया है- आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण 50% तक सीमित रखने का फैसला दिया था, इसका हनन किया गया है. बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 10 फीसदी आरक्षण के कानून पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई में इस बात पर विचार किया जाएगा कि 124वें संविधान संसोधन पर रोक लगाई जाए या नहीं. इससे पहले भी कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने या मामला बड़ी बेंच को भेजने का आदेश देने से इंकार कर दिया था.कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.दरअसल, याचिका में सुप्रीम कोर्ट में 124वें संविधान संसोधन को चुनौती दी गई है.
यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी और वकील कौशलकांत मिश्रा और अन्य लोगों की ओर से दाखिल की गई है.इनके मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता. याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, यह सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने के साथ-साथ 50% के सीमा का भी उल्लंघन करता है. गौरतलब है कि यह विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देता है.
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण देने के लिए विधेयक पेश किया था, जिसे कुछ पार्टियों को छोड़कर कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष ने समर्थन दिया था. इस विधेयक को लोकसभा ने तीन के मुकाबले 323 वोट से जबकि बुधवार को देर रात राज्यसभा ने सात के मुकाबले 165 वोट से पारित किया था. राज्य सभा ने 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से पारित किया था.सदन ने विपक्षी सदस्यों के पांच संशोधनों को अस्वीकार कर दिया,इससे पहले लोक सभा ने इसे पारित किया था.