आंवला के आयुर्वेदिक गुण बताये? इसे कैसे प्रयोग करें कि सबसे अधिक फायदा हो?

आंवला भारतवर्ष का एक अत्यंत उपयोगी फल है | अति प्राचीन वेद काल से ही यह परिचित एव प्रभावपूर्ण औषधि के रूप में व्यवहार में लाया जाता रहा है तथा आंवले को आयुर्वेद (Ayurveda) में बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है | काष्ठोषधि से लेकर रसौषधि (Nutritious) तक ऐसे बहुत ही कम प्रयोग है जिनमें आंवला का व्यवहार (Use) नहीं हुआ | प्राय: सब ही प्रयोगों में यह किसी न किसी रूप में पाया जाता है |

महाऋषि चरक ने तो विस्तृत रूप से आंवले के बाजीकरण एव रसायनिक कतिपय कल्पो (गुणों ) का वर्णन किया है जिनके प्रभाव से बूढ़े भी ( च्वयन ऋषि जैसे ) जवान हो जाते थे, रोग मुक्त होना तो सहज (Easy) बात थी | वास्तव में अन्य फलों की अपेक्षा समस्त रोगो को हरने और स्वास्थ्य (Health), आरोग्य (Soundness) एवं सौंदर्य (Beauty) शक्ति को बनाये रखने के गुणों से भरपूर होने के कारण आंवला को आयुर्वेद (Ayurveda) में श्रेष्ठ स्थान (Best place) प्राप्त हुआ है |

आंवला का परिचय:-

प्राय: कंकरीली और पथरीली भूमि पर होने वाले आंवले के वृक्ष की पत्तियां छोटी होती है तथा फूल पीले रंग का होता है | अक्टूबर-नवंबर मास (Month) में फलने वाले इस फल में स्वास्थ्य को बनाये रखने और शरीर को स्वस्थ रखने की अद्भुत क्षमता (Incredibal Power) होती है |

ताजे आंवले में मिलने वाले तत्वों का प्रतिशत (Percentage) इस प्रकार है :-

प्रोटीन 16%, विटामिन ‘C’ 60%, खनिज 6%, कार्बोहाइड्रेट्स 2%, निकोटोनिक एसिड 15% तथा वसा 1% है |

आंवला के गुण :-

आंवला त्रिदोष नाशक यानि वात, पित्त और कफ के दोषो का नाश करने वाला होता है अर्थात अपने खट्टेपन (Sourness) के गुण से यह वात को, मीठे एव ठंडक के गुण से पित्त को, और रूखेपन व कसैलेपन (Astigmatism) के गुण से कफ को नष्ट करता है |

आंवला के उपयोग / 16 घरेलु नुस्खे :-

आंवले के मुरब्बे का नियमित रूप से सेवन करने से खून की कोई बीमारी नहीं होती यानी खून शुद्ध होता है | यह वात को हरता है, लीवर को ठीक रखता है और इंद्रियों (Sences) की शक्ति (Power) को बढ़ाता है |

आंवले की चटनी नमक के साथ पीसकर खाने से कफ (Cough), जलन तथा शरीर की गर्मी शांत होती है |
आंवले की चटनी मिश्री तथा काला नमक मिलाकर सेवन करें तो याददाश्त (Memory) तेज होती है, शरीर निरोग रहता है |
यदि आप चाहते हैं कि आपके बाल (Hair) सदैव काले बने रहे तो इसके लिए रात्रि में सूखे आंवले लेकर उसमें थोड़े से पानी में भिगो दें | उसके बाद सुबह आंवले को निकालकर उस पानी से सिर को धोएं, इससे बाल (Hair) तो हमेशा काले रहेंगे तथा नजला (Cold) भी नहीं होगा |
गर्मी के मौसम में प्राय: नकसीर (Nosebleed) फूटा करती है | अतः ऐसे समय में सूखे आंवले को घी एव शक्कर के साथ सुबह-शाम कुछ दिनों तक सेवन (Regular Use) कराने से नाक से खून का गिरना (Nosebleed) बंद हो जाएगा |
आंवले के रस में शहद (Honey) मिलाकर देने से पित्त के कारण होने वाली हिचकी (Hiccup), उबकाई, क़ै, तृषा आदि एकदम शांत हो जाती है |
त्वचा (Skin) के रोगों में आंवले का प्रयोग बड़ा लाभदायक है | आंवले के चूर्ण को तेल के साथ मिलाकर लगाने से खुजली (Itching) से छुटकारा मिलता है |

मूर्छा (Faint) आ जाने पर आंवले के रस को घी में मिलाकर पिलाने से बेहोशी दूर होती है |
बवासीर (Piles) के मस्सों से अधिक खून गिरता हो तो आंवले के चूर्ण का सेवन (Consume) दही की मिलाई के साथ करने से लाभ होता है |
आंवले को पानी से पीसकर नाभि

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