भारत और चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श व समन्वय के लिए काम करने वाली संस्था (डब्ल्यूएमसीसी) बुधवार (24 जून) को एक वर्चुअल मीटिंग कर सकती है, जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बारे में चर्चा की जाएगी। डब्ल्यूएमसीसी मीटिंग का नेतृत्व दोनों देशों की तरफ से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे। डब्ल्यूएमसीसी को 2012 में संस्थागत तंत्र के तौर पर स्थापित किया गया था, जिसका मकसद भारत-चीन सीमा पर शांति कायम रखने के लिए दोनों मुल्कों के बीच सलाह-मशविरा और तालमेल बनाने का काम करना है।
दूसरी ओर, भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार (22 जून) को हुई बैठक के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने पर सहमति बनी है। समझा जाता है कि पिछले डेढ़ महीने से कायम तनाव कम करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। सेना के सूत्रों ने मंगलवार (23 जून) को नई दिल्ली में बताया कि सोमवार (22 जून) को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हुई बातचीत सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों को अमल में लाएंगे। हालांकि यह तौर तरीके क्या होंगे, इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि छह जून की बैठक में इन्हीं अधिकारियों के बीच जो सहमति बनी थी, उसी पर आगे बढ़ा जाएगा जिसमें चरणबद्ध तरीके से दोनों देशों की सेनाओं को पीछे हटना है।
भारत और चीनी सेना के बीच पिछले हफ्ते गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार को 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिला कमांडर मेजर जनरल ल्यू लिन के बीच करीब 11घंटे तक बातचीत हुई। इस बैठक में भारत की तरफ से जोरदार ढंग से इस मांग को रखा गया था कि चीनी सेना पीछे हटे।
सोमवार की बैठक में बनी सहमति पर अमल की अवधि को लेकर भी सेना के सूत्रों ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट कहा है कि दोनों पक्षों में टकराव वाले सभी स्थानों से पीछे हटने पर आपसी सहमति बनी है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्ष द्वारा इन्हें अमल में लाया जाएगा।
पूर्वी लद्दाख में कम से कम चार स्थानों पर दोनों देशों के बीच टकराव के हालात पैदा हुए हैं। इनमें पेंगोंग लेक, गलवान घाटी, दौलत बेग ओल्डी एवं डेमचोक शामिल हैं। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में दोनों सेनाओं के बीच बनी यह सहमति सकारात्मक है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि चीनी पक्ष इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करे। देखना यह है कि वह पिछली बार की तरह वादे से मुकरे नहीं।
https://twitter.com/WhiteHouse/status/1275600676459024389
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