सभी दुखों का अंत करने वाला है यह पावन व्रत-इसी दिन उत्पन्न हुईं माता एकादशी

मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को सभी दुखों का अंत करने वाला व्रत माना जाता है। एकादशी देवी का जन्म भगवान विष्णु से हुआ। उत्पन्ना एकादशी के दिन ही एकादशी माता प्रकट हुईं, इसलिए यह दिन उत्पन्ना एकादशी नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत को सिर्फ उत्पन्ना एकादशी से ही शुरू कर सकते हैं। इस व्रत का प्रभाव देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना जाता है। इस व्रत में विधि विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

इस व्रत में मन की सात्विकता का विशेष ध्यान रखें। इस व्रत के प्रभाव से मन निर्मल होने के साथ शरीर स्वस्थ होता है। इस व्रत में भगवान श्री हरि को फलों का ही भोग लगाएं। दीपदान करें। द्वादशी के दिन जरूरतमंदों को दान देकर पारण करें। एकादशी माता को खुद भगवान विष्णु ने आशीर्वाद देकर इस व्रत को पूजनीय बनाया। उत्पन्ना एकादशी का व्रत सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाने वाला व्रत है। इस व्रत में सारी रात भजन-कीर्तन में व्यतीत करनी चाहिए। जाने-अनजाने में हुए पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। इस व्रत में अन्नदान अवश्य करें। उपवास करने में असमर्थ व्यक्ति को एकादशी के दिन अन्न का परित्याग करना चाहिए।

 

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