भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को अनंत चौदस नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि 14 साल तक लगातार अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान विष्णु का माना जाता है। यह व्रत अनंत फल देने वाला माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु का दूसरा नाम अनंत देव है। यह व्रत ग्रहों की अशुभता को दूर करता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्रीगणेश का विसर्जन किया जाता है।
जब पांडव जुए में अपना राज्य हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दी थी। पांडवों ने अपने वनवास में हर साल इस व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रभाव से पांडव महाभारत के युद्ध में विजयी हुए। कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र को भी इस व्रत के प्रभाव से अपना राज्य वापस मिला था। इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। एक बर्तन में दूध, सुपारी और अनंत सूत्र डालकर क्षीर मंथन होता है। इसके बाद आरती की जाती है और भगवान अनंत देव का ध्यान कर अनंत सूत्र को पुरुष दाहिने और स्त्रियां बाएं हाथ में बांधती हैं। इस व्रत के प्रभाव से उन्नति और सौभाग्य प्राप्त होता है। पूजा की समाप्ति के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और प्रसाद ग्रहण करें।
जो आर्थिक त्रासदी देश झेल रहा है उस दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई की आज पुष्टि हो जाएगी: भारतीय अर्थव्यवस्था 40 वर्षों में पहली बार भारी मंदी में है।
‘असत्याग्रही’ इसका दोष ईश्वर को दे रहे हैं।
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2020
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