नई दिल्ली: एक बार में तीन तलाक को भारत में प्रतिबंधित करने वाला बिल ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017’ लोकसभा में गुरुवार को पास हो गया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना की है. हालांकि माकपा नेता बृंदा करात और जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने इस बिल में खामियां गिनाई हैं. बृंदा करात ने सरकार पर संसद में मुस्लिम महिलाओं और संगठनों की सहमित के बिना तीन तलाक विधेयक थोपने का सरकार पर आरोप लगाया है. वहीं शरद यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस्लामी विद्वानों से विचार-विमर्श किए बगैर फौरी तीन तलाक पर विधेयक लाकर अपनी मर्जी थोपना चाह रही है.
बृंदा करात ने कहा कि एक ही बार में तीन तलाक बोलकर शादी खत्म करने को अवैध करार देने और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की जेल की सजा के प्रावधान वाला विधेयक आज लोकसभा से पारित कर दिया गया. इस विधेयक को अब राज्यसभा में पेश किया जायेगा. दोनों सदनों से पारित होने पर इसे लागू करने के लिये राष्ट्रपति की मंजूरी के लिये भेजा जायेगा.
यह आपत्तिजनक विधेयक है: करात
करात ने इस विधेयक को आपत्तिजनक बताते हुये कहा कि सरकार ने इसे जिनके हितों की रक्षा के लिये पारित करने की बात कही है, उन्हीं लोगों से कोई परामर्श किए बिना इसे संसद में पेश कर दिया. करात ने कहा ‘सरकार का यह रवैया उतना ही आपत्तिजनक है जितना यह विधेयक स्वयं आपत्तिजनक है.’’
करात ने कहा कि इस बारे में प्रभावित पक्षकार के रूप में मुस्लिम महिलाओं और सामाजिक संगठनों से विचार विमर्श किया ही नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि शादी में विवाद का मामला दीवानी किस्म का होता है और इसके सामाजिक उपचार पर विचार करने के बजाय सरकार इसे आपराधिक कृत्य साबित कर समस्या का उपचार करना चाहती है. उन्होंने विधेयक में इस तरह की तमाम विसंगतियों का जिक्र करते हुये कहा कि सरकार जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने के बजाय इसके सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिये था.
अपनी मर्जी थोप रही है बीजेपी सरकार: शरद यादव
जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने आज नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस्लामी विद्वानों से विचार-विमर्श किए बगैर फौरी तीन तलाक पर विधेयक लाकर अपनी मर्जी थोपना चाह रही है . जदयू के एक अन्य बागी नेता अली अनवर के साथ यहां आए शरद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक पर कोई भी कानून इस्लामी विद्वानों से विचार-विमर्श पर आधारित होना चाहिए. हाल ही में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किए गए जदयू के बागी शरद और अनवर ने आज लोकसभा में पेश किए गए तीन तलाक विधेयक की आलोचना की.
‘कानून इस्लामी विद्वानों के साथ विचार-विमर्श पर आधारित होना चाहिए’
शरद ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक पर कोई भी कानून इस्लामी विद्वानों के साथ विचार-विमर्श पर आधारित होना चाहिए . लेकिन लोकसभा में विधेयक पेश करने से पहले ऐसा कुछ नहीं किया गया.’ शरद ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सरकार सदन में विधेयक पेश कर अपनी मर्जी थोपना चाह रही है और अपने बचाव में इधर-उधर की बातें कर रही है.’ अली अनवर ने तीन तलाक पर कदम उठाने से पहले मोदी सरकार की ओर से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को विश्वास में नहीं लेने पर नाराजगी जाहिर की.
दोनों नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री एवं जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाकर 2015 के विधानसभा चुनाव के जनादेश का अपमान किया है.
शाह ने एक साथ तीन तलाक को अवैध करार देने वाले विधेयक पारित होने की सराहना की
एक बार में तीन तलाक को अवैध करार देने वाले विधेयक के लोकसभा में पारित होने की सराहना करते हुए भाजपा प्रमुख अमित शाह ने आज रात कहा कि ‘‘ऐतिहासिक कदम’’ मुस्लिम महिलाओं के जीवन में सम्मान और ‘‘उम्मीद का नया युग’’ लाएगा.
उन्होंने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 के पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नीत राजग सरकार को बधाई दी. इस विधेयक से एक साथ तीन तलाक अपराध के दायरे में आ जाएगा.
शाह ने ट्वीट किया, ‘मुस्लिम महिलाओं की मान-मर्यादा सुनिश्चित करने की दिशा में यह विधेयक एक ऐतिहासिक कदम है. मैं इस विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सहयोगी सांसदों का शुक्रिया अदा करता हूं . इससे मुस्लिम महिलाओं के जीवन में उम्मीद का नया युग और सम्मान आएगा.’ इस विधेयक में एक बार में तीन तलाक को अवैध करार दिया गया है और इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.