इस्‍लामिक देशों में भी तीन तलाक पर बने कानून

नई दिल्‍ली: लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक संबंधी बिल पेश करने के बाद इस पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब इस्‍लामिक देशों में इस संबंध में प्रावधान किए गए हैं तो भारत जैसे सेक्‍युलर देश में ऐसा क्‍यों नहीं हो सकता? यह बिल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से संबंधित है. हम शरियत से छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं. कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक पर व्‍यवस्‍था देते हुए इसे पाप करार दिया है. इस फैसले के बाद से अब तक तीन तलाक के तकरीबन 100 मामले सामने आ चुके हैं.

कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे ने बोलते हुए कहा कि हम सभी इस बिल का समर्थन करते हैं लेकिन इसमें कई खामियां हैं. लिहाजा इसको स्‍टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. वहां हम समयबद्ध तरीके से इन खामियों को मिलजुल कर दूर करेंगे. इस पर रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनके सुझावों का स्‍वागत है लेकिन जो भी सुझाव हैं, उनको यहीं सदन में शेयर किया जाए तो बेहतर होगा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि स्‍टैंडिंग कमेटी में समय खर्च होगा जबकि यहां रोज तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं.

इससे पहले लोकसभा में गुरुवार को मस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 पेश किया गया जिसमें मुस्लिम पतियों द्वारा एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की उद्घोषणा को समाप्त करने एवं अवैध घोषित करने एवं इस अवैध कार्य को एक दंडनीय अपराध घोषित करने का प्रावधान किया गया है.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है और उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को गैरकानून घोषित किये जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए इस सदन द्वारा इस संबंध में विधेयक पारित करना जरूरी हो गया है.उन्होंने इस संबंध में कुछ सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून किसी मजहब से जुड़ा नहीं बल्कि नारी सम्मान से जुड़ा हुआ है.

असदुद्दीन ओवैसी ने किया विरोध
इससे पहले विधेयक पेश किये जाने का एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने विरोध किया तथा आईयूएमएल के सदस्य और अन्नाद्रमुक के ए अनवर राजा ने भी विधेयक को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि यह विवाहित मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय करने के बजाय उनके साथ अन्याय को बढ़ाएगा.

बीजद के भर्तृहरि महताब ने विधेयक को पेश करने के तरीके पर सवाल खड़ा किया और कहा कि इसका मसौदा बनाने में खामियां हैं. इन सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है जो इस सदन में मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए विधेयक पेश किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ”यह कानून किसी पूजा, इबादत या मजहब से जुड़ा नहीं होगा बल्कि नारी सम्मान और गरिमा के लिए है.”  ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’, 2017 के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि तलाक-ए-बिद्दत के कारण असहाय विवाहित मुस्लिम महिलाओं के लगातार उत्पीड़न का निवारण करने के लिये उन्हें जरूरी राहत प्रदान करने के वास्ते समुचित विधान की तुरंत आवश्यकता है.

इसमें कहा गया है कि विधेयक में मुस्लिम पतियों द्वारा एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की उद्घोषणा को समाप्त करने एवं अवैध घोषित करने एवं इस अवैध कार्य को एक दंडनीय अपराध घोषित करने का प्रावधान किया गया है. यह इस प्रकार के विवाह विच्छेद का निवारण करने के लिये अनिवार्य है जिसमें पत्नी का वैवाहिक संबंध को समाप्त करने में कोई मत नहीं होता है.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पति द्वारा तलाक ए बिद्दत की उद्घोषणा की दशा में पत्नी और आश्रित बच्चों के जीवन यापन और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति जैसे मामलों के लिये निर्वाह भत्ता आदि के उपबंध का प्रस्ताव करता है. पत्नी अवयस्क बालकों की अभिरक्षा की भी हकदार होगी.

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