इस वक्त सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कोरोना वायरस का इलाज क्या है। पूरी दुनिया जानना चाहती है कि कोरोना का वैक्सीन कब तक आएगा क्योंकि एक वैक्सीन ही इस महामारी को खत्म कर सकती है।
नई दिल्ली: इस वक्त सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कोरोना वायरस का इलाज क्या है। पूरी दुनिया जानना चाहती है कि कोरोना का वैक्सीन कब तक आएगा क्योंकि एक वैक्सीन ही इस महामारी को खत्म कर सकती है। वहीं अब यह खबर आ रही है कि कोरोना की वैक्सीन सितंबर तक मिल सकती है। ये दावा किया है अमेरिका की मॉडर्ना नाम की कंपनी ने। कंपनी ने यहां तक दावा किया है कि उसने भारत की एक कंपनी को उत्पादन के लिए कॉन्ट्रेक्ट भी दे दिया है।
6 देश और वैक्सीन को लेकर हजार दावे। काम हर जगह युद्ध स्तर पर चल रहा है। इटली, इजरायल, भारत, चीन सब दावा कर रहे हैं वैक्सीन बनाने की लेकिन अमेरिका की मॉडर्ना नाम की कंपनी ने जो दावा किया है उसे सच मान लें तो सितंबर में बाजार में कोरोना वैक्सीन होगी।
मॉडर्ना नाम की अमेरिकी कंपनी का दावा है कि उसका शुरूआती ट्रायल सफल रहा है। वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को जिन लोगों के शरीर में डाला है, उनमें कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज डेवलप हो गए हैं। अब कंपनी ने तय किया है कि अगले फेज में वो छह सौ इंसानों पर इसका ट्रायल करेगी।
छह सौ लोगों पर 18 से 45 साल के बीच होंगे और आधे 55 साल से ऊपर के लोग होंगे। अगर ये ट्रायल भी सफल रहा तो फिर 2500 और लोगों पर ट्रायल होगा जिसमें कम उम्र के बच्चे होंगे। कंपनी का कहना है कि ये सब होने में कम से कम साढ़े तीन महीने का वक्त लगेगा इसलिए अगर सबकुछ ठीक रहा तो कोरोना का वैक्सीन सितंबर तक मिल सकता है।
अब आप सोचेंगे कि अगर सितंबर तक ट्रायल पूरा होगा तो वैक्सीन की करोडो़ं डोज बनाने में भी कितना वक्त लगेगा, लेकिन कंपनी का दावा है कि सितंबर तक इस वैक्सीन की कम से कम 11 करोड़ डोज बना ली जाएगी। खबर ये भी है कि मॉडर्ना कंपनी ने एक भारतीय कंपनी को इस वैक्सीन की डोज बनाने का काम दिया है। अब सवाल ये है कि इस कंपनी पर भरोसा क्यों करें?
इस कंपनी के दावे पर इसलिए यकीन किया जा रहा है क्योंकि इस कंपनी ने नौ महीने में इवोला वायरस का वैक्सीन भी बनाया था। कंपनी का कहना है कि कई टेस्ट पूरे हो गए हैं। वैक्सीन बनाने का काम भी शुरु हो गया है। इस ऑपरेशन में अमेरिका की कई कंपनियों ने दौलत के साथ अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। करीब 90 लैब में 100 वैक्सीन्स पर दिन रात रिसर्च जारी है और अलग अलग स्टेज पर ट्रायल भी लेकिन पहली सफलता मॉडर्ना कंपनी को मिली है।
पिछले हफ्ते दावा किया गया था कि ब्रिटेन की एक यूनीवर्सिटी में कोरोना वायरस की दवा का बंदरों पर टेस्ट सफल रहा है लेकिन दो दिन बाद वो दावा गलत निकला। कुछ दिन पहले चीन के वैज्ञानिकों ने भी दावा किया था कि उन्होंने कोरोना के वैक्सीन का चूहों पर सफल प्रयोग किया है लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ।
इटली की कंपनी ने भी दावा किया, इस्राइल के डिफेंस मिनिस्टर ने भी कहा था कि इस्राइल की डिफेंस लैब ने कोरोना का एंटीडोट तैयार कर लिया है लेकिन इन सब दावों का दम निकल गया इसलिए कोरोना का एंटी डोट कब बनेगा, वैक्सीन कब तक आएगा इसके बारे में कुछ भी कहना फिलहाल मुश्किल है लेकिन मॉडर्ना के दावे की चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है।
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