दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के सीईओ ने कथित तौर पर कहा है कि भारत सरकार ऑपरेटरों पर लगने वाली स्पेट्रम फीस में कटौती नहीं की तो कंपनी भारत में अपना कारोबार बंद कर सकती है.
नई दिल्ली: सरकार ने भारत में वोडाफोन ग्रुप द्वारा कारोबार की अनिश्चितता संबंधी बयान देने पर नाखुशी प्रकट की है. ग्रुप ने दूरसंचार कंपनियों पर करीब 1.33 लाख करोड़ रूपये की देनदारी संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कथित रूप से ऐसी टिप्पणी की थी.
समझा जाता है कि वोडाफोन ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निक रीड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वादा किया है कि उनकी कंपनी निवेश में लगी रहेगी और उन्होंने अपने बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया. दूरसंचार मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार ने भारत में दूरसंचार क्षेत्र के बारे में दिये गये वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बयान पर नाखुशी प्रकट की है और उससे असहमत है.’’
दरअसल, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन भारत में ढहने के कगार पर खडी है. यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने कही है. वोडाफोन जैसे बड़े विदेशी निवेशक अगर ऐसी बात कहते हैं जो जाहिर है कि भारत की वैश्विक छवि को गहरा धक्का लगेगा है. वोडाफोन-आइडिया भारतीय बाजार में हर तिमाही में तकरीबन 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठा रही है.
इसके अलावा कंपनी पर तकरीबन 99 हजार करोड़ रुपए का कर्ज भी है. लिहाजा, कंपनी को इस भारी भरकम कर्ज पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है इसके बाद हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल पुराने एजीआर के मामले में निर्णय दे दिया जिसने टेलीकॉम कंपनियों खासकर वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की कमर तोड़ कर रख दी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को 92 हजार करोड़ चुकाने होंगे. इसमें से वोडाफोन आइडिया को लगभग 28 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे.