पश्चिम बंगाल: दीदी के राजनीतिक भविष्य का फैसला आज, सीएम रहेंगी या इस्तीफा देना होगा

उपचुनाव में दीदी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा की उपाध्यक्ष प्रियंका टिबरेवाल से है. इस सीट पर गुरुवार को 57 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) मुख्यमंत्री पद पर बनी रहेंगी या उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ेगी, इसका फैसला आने वाले चंद घंटों में हो जाएगा. आज रविवार को भवानीपुर (Bhabanipur) विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के मतों की गिनती होनी है. इस लिहाज से आज का दिन दीदी के लिए बेहद अहम है. अगर वह चुनाव हार जाती हैं, तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. इस सीट पर हुए उपचुनाव में उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा शाखा की उपाध्यक्ष प्रियंका टिबरेवाल से है. गौरतलब है कि भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को 57 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. भवानीपुर के अलावा शमशेरगंज और जंगीपुर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आज ही आएंगे.

शुरुआती घंटों में साफ हो जाएगी तस्वीर
प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार को चुनाव आयोग सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू करेगा और दोपहर बाद तक काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी कि बंगाल में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री रहेंगी या उन्हें बेआबरू होकर इस्तीफा देना पड़ेगा. राजनीतिक पंडितों की मानें तो मतगणना शुरू होने के घंटे भर में ही शुरुआती रुझान आने लगेंगे. इसके चंद घंटों बाद ही स्थिति साफ हो जाएगी. मतगणना के लिए चुनाव आयोग ने केंद्रीय बलों की 24 कंपनियों को तैनात किया है. इसके अलावा राज्य पुलिस ने अपने स्तर पर किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं.

भवानीपुर का राजनीतिक इतिहास
भवानीपुर के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 2016 में इस सीट से ममता बनर्जी ने जीत हासिल की थी. इस बार भी उन्हें इस सीट पर जीत की काफी उम्मीद है. टीएमसी के कई नेता भी इस सीट पर ममता की जीत का दंभ भर रहे हैं. बीजेपी और टीएमसी के अलावा वाम मोर्चा ने भी श्रीजीब बिस्वास को इसी सीट पर मैदान में उतारा है. 2011 में परिसीमन के बाद भवानीपुर अस्तित्व में आया था. भवानीपुर शुरू से ही तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रहा है. ममता बनर्जी का कालीघाट आवास इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है. 2011 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में दीदी की टीएमसी ने 184 सीटों पर जीत हासिल कर 34 साल पुराने वाम मोर्चा के किले को ध्वस्त कर दिया था. हालांकि उस समय ममता बनर्जी ने चुनाव नहीं लड़ा था. टीएमसी विधायक और तत्कालीन मंत्री सुब्रत बख्शी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाली दीदी के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी. बाद में ममता बनर्जी ने उपचुनाव जीतकर अपनी कुर्सी बचाई. इस बार भी माहौल कुछ ऐसा ही है. ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए भवानीपुर में जीत दर्ज करनी होगी.

ममता बनर्जी के राजनीतिक अस्तित्व का केंद्र है भवानीपुर
गौरतलब है कि 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट को छोड़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया. यह अलग बात है कि यहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. ममता को कभी उनके बेहद करीबी रहे बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने करारी शिकस्त दी. दीदी को नंदीग्राम में 1,956 वोटो से हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में अब सीएम पद पर बने रहने के लिए उन्हें भवानीपुर से जीत दर्ज करनी ही होगी.

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