मुलेठी शीत, स्वाद में मधुर, तीनों दोषों का शमन करनेवाली, आँखों और बालों के लिए हितकर, बलकारक, स्वर और त्वचा के वर्ण में सुधार लानेवाली, वीर्यजनक है।
१. इस में कफशामक और कफनिःसारक गुण होने के कारण इसका मुख्य उपयोग खांसी, अस्थमा, गले में खराश, ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन मार्ग के व्याधियों में होता है।मुलेठी का काढ़ा पीना या इस के जड़ के छोटे टुकड़े मुँह में रखकर चूसना फायदेमंद होता है।
२. अम्लपित्त या एसिडिटी में यह अपने पित्त शामक गुण के कारण उपयोगी है। वरण रोपक होने के कारण यह अल्सर के व्रणों को भरने में मदत करती है।
३. शीत और एंटी माइक्रोबियल होने से यह मूत्रमार्ग के संक्रमणों में लाभदायक है। पेशाब में होनेवाली जलन को दूर करती है।
४. इस के कार्यकारी तत्व ग्लाइसीर्रिज़िन में यकृत रक्षक गतिविधि होती है। इस कारण मुलेठी हेपेटाइटिस जैसे यकृत या लिवर की बीमारियों में उपयोगी है।
५. इस में एंटी इंफ्लेमेटरी और नर्व प्रोटेक्टिव क्रियाये होने के कारण यह याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाती है और नर्वस सिस्टम के Alzheimer’s disease जैसे बीमारियों में फायदेमंद हो सकती है।
६. त्वचा विकारों में भी मुलेठी काफी असरदार है। डर्मेटाइटिस, एक्जिमा, प्रुरिटस और अल्सर जैसे त्वचा विकारों में यह एंटी इंफ्लेमेटरी, एन्टीऑक्सिडन्ट होने के कारण फायदा पहुंचाती है।मुलेठी में स्थित Glabridin नामक प्रभावी रंगद्रव्य सबसे सुरक्षित पिगमेंट-लाइटनिंग एजेंट है जो त्वचा के डेग धब्बों को दूर कर वर्ण निखारने में मदत करता है।यह अल्ट्रा वायलेट किरणों से त्वचा की रक्षा कर उसे नमी और लचीलापन बनाये रखने में मदत करती है।
७. मुलेठी चूर्ण को दूध के साथ मिलाकर पीने से यह स्तन्य वर्धक होता है।
८. मुलेठी के Licochalcone A (a chalcone) नामक तत्व में बहुत अच्छी एंटीमैरलियल एक्टिविटी देखी गयी है।
९. इस की जड़ के आरक में का मूल अर्क एंटी-लिपिडेमिक और एंटीहाइपरग्लाइसेमिक गतिविधि पाई गई है।
१०. मुलेठी इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है। यह इम्यून सिस्टम के macrophages और lymphocytes कोशिकाओं की संख्या और क्षमता बढ़ाती है जो संक्रमणों से लड़ने में मदत करते है।
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