च्यवनप्राश नाम च्यवन ऋषि के नाम पर दिया गया है, इसका वर्णन चरक संहिता के रसायन अध्याय मे किया गया है, आचार्य चरक के अलावा बाकी कई आचार्यों ने भी च्यवनप्राश का वर्णन किया है, इसका निर्माण 36 औषधियों को मिलाकर किया जाता है, जिसमें आमला मुख्य है। संहिता में इसे रसायन कहा गया है, जिसका अर्थ है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य संवर्धन करे व उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए। इसके अतिरिक्त च्यवनप्राश को कास, श्वास की बीमारियो में भी उपयोगी बताया गया है, शरीर के बल को बढ़ाने वाला, मेधा, स्मृति को बढ़ाने वाला, जठराग्नि इत्यादि को बढ़ाने वाला बोला गया है। इसके अतिरिक्त च्यवनप्राश कई रोगों के लक्षणों और रोग को ठीक करने में सहायक है।
दूसरी बात ये ध्यान देने वाली है कि इन 36 औषधि निर्माण द्रव्यों में कुछ औषधियाँ अब लुप्त प्राय है और उनके स्थान पर उनके प्रतिनिधि औषधि द्रव्यों का प्रयोग करते है, जो उन मूल द्रव्यों से प्रभाव में कमतर है। अतः आधुनिक च्यवनप्राश स्वास्थ्य संवर्धन व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तक ही सीमित है।
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