भारत में केला हर जगह पाया जाता है और केले की सबसे अच्छी किस्में भारत में ही होती है। केले की कई किस्में होती है परन्तु इनमें माणिक्य, कदली, मत्र्य कदली, अमृत कदली, चम्पा कदली आदि मुख्य है। जंगलों में अपने आप उग आने वाले केले को वन कदली कहते हैं। असम, बंगाल और मुम्बई में केले की अनेक किस्में पाई जाती है। सुनहरे पीले व पतले छिलके वाले केले खाने में स्वादिष्ट होते हैं। मोटे छिलके वाले तिकोने केले की सब्जी बनाई जाती है।
पके और कच्चे दोनों प्रकार के केले का उपयोग होता है। पके केले का छिलका निकालकर खाया जाता है और कच्चे केले की सब्जी बनाई जाती है। केले के फूल की भी सब्जी बनाई जाती है। केले की मिठास उसमें मौजूद ग्लूकोज तत्त्व पर आधारित है। ग्लूकोज शर्करा है। यह स्नायुओं का पोषण और शक्ति प्रदान करता है। केले में विभिन्न तत्त्व पाए जाते हैं। केला शरीर को मजबूत और बलवान बनाता है। केला एक ऐसा फल है जो हर मौसम में मिलता है। पका केला रक्तस्राव और प्रदर रोग में लाभकारी होता है।
ज्यादातर लोग अधिक पका हुआ केला खाना पसंद करते हैं जबकि यह सेहत को बहुत फायदा नहीं पहुंचाता। केले के रंग के मुताबिक उसमें मौजूद पोषक तत्व भी बदल जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के जाने माने स्पोर्ट्स डाइटीशियन रेयान पिंटो के मुताबिक, समय के साथ केले के पोषक तत्व बदलते हैं, इस लिए इसे खाने से पहले इसके रंग पर नजर जरूर डालें। जानिए इसके रंग के मुताबिक, इसकी खूबियां…
रेयान पिंटो के मुताबिक, हरा केला थोड़ा कच्चा होता है इसमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। यह आसानी से पचता नहीं है। इसे खाने पर गैस बनने के कारण पेट फूल सकता है। अगर आपको लो-ग्लाइसीमित इंडेक्स वाले केले की तलाश है तो इसे खाया जा सकता है। इसे खाने पर केले में मौजूद स्टार्च टूटटकर ग्लूकोज में बदल जाता है और पके केले के मुकाबले यह ब्लड शुगर धीरे-धीरे बढ़ाता है। स्वाद में कसैला होने की वजह से इसमें ग्लूकोज का स्तर भी कम होता है।
पीला केला
पीला पड़ने पर केले में स्टार्च कम और शुगर का स्तर बढ़ जाता है। रेयान पिंटो के मुताबिक, मुलायम होने के साथ इसमें मिठास बढ़ जाती है। इसमें मौजूद पोषक तत्वों को शरीर आसानी से ग्रहण कर लेता है। जैसे-जैसे इसका रंग डार्क होता है इसमें मौजूद माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स की मात्रा घटती जाती है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स की पूर्ति के लिए इसे अधिक पकने से पहले ही खाएं।
चित्तीदार केला
केले पर भूरे के चित्तियां आने का मतलब है कि इसमें मौजूद स्टार्च ग्लूकोज में बदल चुका है। जितने ज्यादा चित्तियां उतना ज्यादा शुगर। इस अवस्था में इसमें शुगर का स्तर अधिक बढ़ जाता है और डायबिटीज के रोगियों को इसे खाने से बचना चाहिए। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट का स्तर भी ज्यादा होता है जो कैंसर से बचाने में मदद करता है।
केला कितना फायदेमंद है
एक केला करीब 100 कैलोरी ऊर्जा देता है। इसमें फैट कम होता है और पोटेशियम, फायबर, विटामिन-बी6 और विटामिन 6 काफी मात्रा में पाया जाता है। एक औसत आकार वाले केले 3 ग्राम फायबर मिलता है। एक शोध के मुताबिक, अगर महिलाएं हफ्ते में 2-3 बार केला खाती हैं तो उनमें किडनी की बीमारी होने का खतरा 33 फीसदी तक कम हो जाता है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
सूजन: समस्त प्रकार की सूजन में केला लाभकारी होता है।
चोट या रगड़ लगना: चोट या रगड़ लगने पर केले के छिलके को उस स्थान पर बांधने से सूजन नहीं बढ़ती। पका हुआ केला और गेहूं का आटा पानी में मिलाकर गर्म करके लेप करें।
गैस्ट्रिक अल्सर:
गैस्टिक अल्सर के रोग से पीड़ित रोगी को दूध और केला एक साथ खाना चाहिए।
केले को खाने से आंतों की सूजन, आमाशय का जख्म, जठरशोथ, कोलिटिस की सूजन और अतिसार आदि की बीमारियों में लाभ मिलता है।
केला और दूध को सेवन करने से पेट के अल्सर में लाभ मिलता है।
हृदय का दर्द: 2 केले 15 ग्राम शहद के साथ मिलाकर खाने से हृदय का दर्द ठीक होता है।
मिट्टी खाना: अगर बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो पका हुआ केला शहद में मिलाकर खिलाना चाहिए। इसके सेवन से मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
दाद, खाज: केले के गूदे को नींबू के रस में पीस लें और दाद, खाज व खुजली में लगाएं। इससे दाद, खाज, खुजली दूर होती है।
पेट का दर्द: किसी भी प्रकार के पेट दर्द में केला खाना लाभकारी होता है। केला बच्चों और दुर्बल लोगों के लिएं पोषक आहार है। दस्त, पेट का दर्द और आमाशय व्रण में भोजन के रूप में केला खाना लाभकारी होता है।
दस्त:
2 केला लगभग 100 ग्राम दही के साथ कुछ दिन तक खाने से दस्त व पेचिश को ठीक करता है।
केले के पेड़ के तने को पीसकर, 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रस निकालकर पीने से दस्तों का बार-बार आना बंद होता है।
कच्चे केले को उबालकर रोटी बनाकर अरूआ के भरते के साथ खाने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है।
केले और थोड़ा सा केसर दही में मिलाकर खाने से लाभ मिलता हैं।
मुंह के छाले: जीभ पर छाले होने पर एक केला गाय के दही के साथ सुबह के समय सेवन करने से लाभ होता है।
आग से जल जाना: आग से जल जाने पर केले को पीसकर लगाना लाभकारी होता है।
नाक से खून आना: 1 गिलास दूध में चीनी मिलाकर 2 केले के साथ प्रतिदिन 10 दिनों तक खाने से नाक से खून आना बंद होता है।
पेशाब का रुक जाना:
केले के तने का रस 4 चम्मच और घी 2 चम्मच मिलाकर पीने से बंद हुआ पेशाब खुलकर आता है। इसके सेवन से पेशाब तुरंत आ जाता है।
केले की जड़ के बीच के भाग वाले गूदे को पीसकर पेट के नाभि के नीचे तक लेप करने से बंद पेशाब खुलकर आने लगता है।
एक पका केला खाकर आंवले के रस में चीनी मिलाकर पीने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
केले के तने का रस गाय के मूत्र में मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।
पेशाब का बार-बार आना:
प्रतिदिन खाना खाने के बाद दो पके केले खाने से पेशाब का बार-बार आना बंद होता है।
पका केला और आंवले का रस मीठे दूध के साथ सेवन करने से मूत्र रोग ठीक होता है।
पका हुआ केला, अमलतास, विदारीकन्द तथा शतावर को पीसकर दूध के साथ खाने से पेशाब का बार-बार आना बंद होता है।
पका हुआ 2 केला, एक चम्मच आंवले का रस और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 4 से 5 दिनों तक पीने से बार-बार पेशाब आना रोग ठीक होता है।
उच्च रक्तचाप:
केले में पोटैशियम की अधिकता के कारण यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी होता है। केला खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य बना रहता है।
प्रतिदिन एक पका केला खाली पेट खाने और ऊपर से इलायची के दो दाने चबाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सामान्य बनता है।
आन्त्रज्वर (टायफाइड): आन्त्रज्वर से पीड़ित रोगी को के लिए केला एक अच्छा भोजन है। इससे प्यास कम लगती है।
पित्त रोग: पका केला घी के साथ खाने से पित्त रोग मिटता है।
हिचकी:
जंगली कदली केले के पत्ते की राख 1 ग्राम को 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद होती है।
3 ग्राम केले की जड़ को पानी के साथ घिसकर उसमें चीनी या मिश्री मिलाकर सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
पेडू़: कदली के पेड़ के गर्भ का रस निकालकर पीने से पेडू में पहुंचे हुए जहर दूर हो जाते है।
जलन: केले और कमल के पत्तों पर सोने से शरीर की जलन शांत होती है।
पेचिश:
केले को नींबू के साथ खाने से पेचिश रोग मिटता है और आहार शीघ्र ही पचता है। केले में दही मिलाकर खाने से पेचिश और दस्तों में लाभ होता है।