वाशिंगटन: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम बहुलता वाले छह देश के लोगों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए यात्रा प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ईरान, लीबिया, सीरिया, यमन, सोमालिया और चाड के निवासियों पर अमेरिका के साथ वैध संबंध न होने पर लगाया गया यात्रा प्रतिबंध अब पूरी तरह लागू हो पाएगा. हालांकि इस विवादास्पद यात्रा प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाएं अभी भी लंबित हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे पूरी तरह लागू करने की अनुमति दे दी है. यात्रा प्रतिबंध विवादास्पद नीति का तीसरा संस्करण है. जनवरी में कार्यभार संभालने के करीब एक सप्ताह बाद ट्रंप ने पहली बार इस प्रतिबंध संबंधी आदेश की घोषणा की थी.
सुप्रीम कोर्ट के नौ में से सात जजों ने अन्य अदालतों द्वारा यात्रा प्रतिबंध की नीति पर लगाई रोक को हटाने का फैसला किया. जस्टिस रुथ बैडर गिंसबर्ग और जस्टिस सोनिया सोतोमायोर ने कहा कि वह सरकार के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं. कोर्ट ने अपने फैसले के कोई उचित कारण नहीं दिए लेकिन कहा कि वह कार्यकारी आदेश के निचली अदालत की समीक्षा की अपेक्षा करता है ताकि इन्हें (यात्रा प्रतिबंध को) जल्दी लागू किया जा सके.
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल नोएल फ्रांसिस्को ने अदालत के कागजात में तर्क दिया, ”कई सरकारी एजेंसियों ने विदेशी सरकारों द्वारा साझा की गई जानकारी की एक व्यापक एवं विश्वव्यापी समीक्षा की जिसका इस्तेमाल अमेरिका में प्रवेश करने वाले आवंछित लोगों की जांच के लिए किया जाता है.”
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता होगन गिडले ने आदेश के बाद कहा, ”आतंकवाद का खतरा पेश करने वाले देशों पर राष्ट्रपति के यात्रा प्रतिबंध लगाने के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हम आश्चर्यचकित नहीं हैं.” ट्रंप के इस यात्रा प्रतिबंध को हवाई और अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने अलग-अलग चुनौती दी थी. उन्होंने दलील दी थी कि प्रतिबंध मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव है.
हवाई की ओर से पेश हुए भारतीय अमेरिकी अटॉर्नी नील कत्याल ने कहा, ”राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव का इससे बेहतर उदाहरण आपकों नहीं मिल सकता.” ‘न्यूयॉर्क इमिग्रेशन कोलिजन’ के कार्यकारी निदेशक स्टीवन कोई ने कहा कि नस्ल या धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करना पूरी तरह से अस्वीकार्य और गैर-अमेरिकी है.
राष्ट्रपति अभियान समिति के लिए डोनाल्ड जे ट्रंप के कार्यकारी निदेशक माइकल एस ग्लासनर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ”16 जून 2015 से अभी तक, राष्ट्रपति ट्रंप की आव्रजन नीतियों का लक्ष्य अमेरिकयों को उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले लोगों तथा हमारी स्वतंत्रता पर हमला करने वालों से सुरक्षित रखना रहा है.”